कुछ
महीनों पहले हमारे शहर में चंद स्वयंसेवियों ने मिलकर एक अभियान चलाया नाम रखा क्लीन
नरसिंहगढ़ ग्रीन नरसिंहगढ़ जिसमें नगर के अन्य सामाजिक संगठन भी एक साथ आये जिनका उद्देश्य
था नगर को पॉलिथीन मुक्त बनाना ताकि पॉलिथीन खाकर लगातार मर रही गायों को बचाया जा
सके और जनसामान्य को भी इससे होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जा सके ।
इसके लिये लगभग
२ महीने तक लगातार कुछ न कुछ activity चलती रही । कुछ लोग अभियान के साथ जुड़े भी, कभी
सायकिल रैली निकाली तो कभी पैदल रैली स्कूली बच्चों के साथ, पॉलिथीन से होने वाली हानियों
के पर्चे बँटवाये, चौराहों पर नुक्कड़ नाटक भी खेले गये, नगरीय निकाय भी बढ़ चढ़कर साथ
आया और जागरूकता के साथ जब्ती की कार्यवाही भी की ।
अभियान चल रहा था, कुछ लोगों ने
दुकानों से पॉलिथीन लेने से इंकार करना भी शुरू कर दिया था हालाँकि अब भी कुछ लोग जो
हर शहर में मौजूद होते हैं जिन्हें हमेशा किसी भी अच्छे काम के विरोध का कीड़ा सा होता
है, शाम को अपने-अपने झुण्डों में अपने कुतर्कों के साथ अभियान के असफल हो जाने की
भविष्यवाणी भी कर रहे थे और उस दिन का इंतज़ार ही कर रहे थे जब ये मुहिम ठण्डी हो जाये
।
इसी बीच नगर के कुछ बड़े व्यापारियों
के लिये परेशानी खड़ी होने लगी क्योंकि वो खुद पॉलिथीन में न सिर्फ सामान दे रहे थे
बल्कि ग्रामीणों और छोटे व्यापारियों को पॉलिथीन बेचते भी थे । ऐसे कुछ व्यापारियों
ने मिलकर अपने रसूख का इस्तेमाल किया और राजनीति और प्रशासन में उच्च पदों पर आसीन
(नाम नहीं लेना चाहता बस आप समझ जायें) प्राणियों को (इंसान तो नहीं कहा जा सकता)
approach किया और तुरंत ही आदेश पारित हुआ कि नगरीय निकाय किसी प्रकार की जब्ती न करें,
और फिर नगरीय निकाय ने ऐसे दबाव के चलते अपने हाथ पीछे की ओर खींच लिये ये उनकी मजबूरी
भी थी । मगर आश्चर्य इस बात का है कि जिस जनसामान्य को पॉलिथीन के नुकसान समझाने, गायों
को बचाने के लिये और पॉलिथीन का बहिष्कार करवाने के लिये इतना बड़ा अभियान चलाया गया
वही जनसामान्य इस सारे मुद्दे पर सिर्फ तमाशबीन बना रहा । हाँ बाद में उन स्वयं सेवियों
की टाँग खींचने का आनंद जरूर ले रहा है जो इस अभियान से जुड़े हुये थे मगर वो ये नहीं
समझ पा रहा कि ये किसी एक व्यक्ति की या अभियान की ही असफलता नहीं बल्कि हर उस नागरिक
की असफलता है जो मूक दर्शक बने रहे और एक ऐसे जीव जिसे वो माँ की संझा से नवाज़ते हैं,
त्यौहारों पर कुंकुम का टीका लगाकर प्रणाम कर पूजते भी हैं की जान के आगे पॉलिथीन के
उपयोग का मोह नहीं छोड़ पाये । अब आप ही बतायें ऐसे तमाशबीनों को कैसे जगायें और कैसे
हो क्लीन नरसिंहगढ़ ग्रीन नरसिंहगढ़ ।
नोटः
फोटो देखकर या लेख पढ़कर कभी आप गलती से जाग जायें तो बस कम से कम ४० माइक्रोन से कम
की पॉलीथीन लेना बंद कर दें और अगर कभी किसी कारणवश लें भी तो उन्हें सड़कों पर फेंकना
बंद कर दें ।
सिर्फ
नरसिंहगढ़ में ही हर वर्ष औसतन २५० गायों की मौत पॉलिथीन खाने से हो रही है ।
येही
विनय ! फिर वही बात