बुधवार, जुलाई 16, 2014

बेरुखी का मारा नरसिंहगढ़ बेचारा

            नरसिंहगढ़ नगर में प्रशासन और नगरीय निकाय का जनसामान्य की ओर बेरूखी का दौर लगातार जारी है, सबसे पहले तो छोटा तालाब सौन्दर्यीकरण के नाम पर शुरू हुआ काम ही संशय के घेरे में है जिसमें वैधानिक तौर पर तालाब को मात्र ३० से.मी. खोदा जाना था जो कि अपने आप में ही हास्यास्पद है । किसी तालाब की ३० से.मी. खुदाई को गहरीकरण नहीं बल्कि किसी भ्रष्टाचारी का जनता के साथ किया गया मजाक लगता है और यह तकनीकि तौर पर भी गलत है । तालाब की खुदाई अर्थात् छिलाई से निकली मिट्टी को भी ठिकाने लगाने के लिये ठेकेदार साहब ने बड़ा ही आसान और सस्ता उपाय खोज निकाला और अपनी परिवहन लागत को बचाने के लिये मिट्टी को मेले वाले बाग में ही डाला जाने लगा और उसे बराबर करने की ज़हमत भी नहीं उठाई गई । इससे साँप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी । जब कुछ जागरूक नागरिकों ने आपत्ति ली तब हालात और भी खराब हो गये मिट्टी को बलबटपुरा चौराहे से अस्पताल तक सड़क के आसपास किनारो पर डाल दिया गया जो थोड़े सी बारिश के साथ ही सड़कों पर आ गई और दुर्घटनाओं को पीले चावल दे दिये । ऐसा लगता है शायद शासन ने ये सड़क वाकई अस्पताल पहुँचाने के लिये तैयार कर दी हो । हालांकि इस पर भी आपत्ति ली गई समाचार पत्रों ने भी अपने अपने स्तर पर इस कीचड़ की फिसलन प्रशासन तक पहुँचाई पर सैंया भए कोतवाल तो फिर डर काहे का वाली स्थिति यहाँ स्पष्ट दिखाई दी । आश्चर्य तो इस बात पर भी है कि यही मार्ग प्रशासनिक अधिकारियों  द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि अस्पताल से ही कुछ आगे प्रशासनिक अधिकारियों के बंगले, जनपद, और सभी प्रशासनिक कार्यालय तथा न्यायालय भी है आप इसी बात से यह अंदाज़ लगा सकते है कि यह मार्ग दिनभर में कितने अधिकारियों और जनसामान्य द्वारा इस्तेमाल किया जाता होगा । प्रशासन आँखें मूँदे बैठा है और नगरीय निकाय की तो शायद नींद ही लग गयी है ऐसे में यदि जनता भी सुस्त हो जायेगी फिर तो हो गया विकास पर्यटन का... बाकि सपने देखने में कोई बुराई नहीं देखिये ।

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